विर्य स्तंभन चूर्ण
औषधि द्रव्य
नागबला , अतिबला , खस , कौंच के शुद्ध बीज , शुद्ध भांग , गोखरू , तालमखाना
और शतावरी प्रत्येक 50-50 ग्राम,
वंग भस्म 25 ग्राम, जायफल + जावित्री,लौंग + दालचीनी और असली अकरकरा
प्रत्येक का चूर्ण 15-15 ग्राम लें। मिश्री की मात्रा आधा किलो कर लें।
समस्त द्रव्यों का पृथक-पृथक चूर्ण करके लिये गये वजन के अनुसार मिला लें तद्पश्चात
बंग भस्म मिलाकर सभीको एक गात कर ले
कर लें। अंत में पिसी मिश्री मिलाकर सुरक्षित रख लें।
मात्रा अनुपान
प्रातः: - सायं गौदुग्ध के साथ 5-5 ग्राम की मात्रा में लेना चाहिए ।
10 ग्राम की मात्रा सहवास के एक घण्टा पूर्व दूध के साथ लें ।
गुण एवं उपयोग
बलवीर्य एवं काम शक्ति बढ़ाने हेतु वीर्यस्तम्भन कर आनंद बढ़ाने
हेतु यह योग सेवनकर्ता को स्वयं अपने चमत्कारी गुणों का
बलवीर्य एवं काम शक्ति बढ़ाने हेतु वीर्यस्तम्भन कर आनंद बढ़ाने
हेतु यह योग सेवनकर्ता को स्वयं अपने चमत्कारी गुणों का
परिचय करा देता है।
1 comment:
Oknisha
विर्य पीने के फायदे और नुकसान
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