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वाजीकरण क्या है ?

वाजीकरण क्या है ?
वाजीकरण 'अष्टांग आयुर्वेद' का एक महत्वपूर्ण अंग है। आयुर्वेद के आठ अंग बताये गये
हैं- 1-शल्यतन्त्र 2- शालाक्य तन्त्र 3- कायचिकित्सा 4- भूतविद्या 5- कौमार भृत्य
 6- अगदतन्त्र 7- रसायन तन्त्र एवं 8- वाजीकरण तन्त्र । इन आठ अंगों में विभाजित 'वैद्यकशास्त्र' को
'अष्टांग आयुर्वेद' कहा गया है।
जिस युक्ति या औषधि द्वारा कामशक्तिहीन, क्षीणवीर्य और नपुंसक व्यक्ति भी
शक्तिसम्पन्न,
वीर्यवान व हर्षित होकर स्त्रीगमन करने में सामर्थ हो, उसे वाजीकरण कहते हैं । अर्थात् काम के प्रति
उदासीन व मैथुनशक्ति रहित व्यक्ति को मैथुनशक्ति सम्पन्न बनाना ही 'वाजीकरण' है ।


वाजीकरण की परिभाषा
‘वाजीकरण' की शास्त्रोक्त परिभाषा व्यक्त करने से पूर्व इसके शाब्दिक अर्थों को समझ
लेना आवश्यक होगा। आयुर्वेदिक विद्वानों ने अपने-अपने मतानुसार 'वाजीकरण' शब्द के कई अर्थ
लिये हैं इनमें से कुछ के अर्थ नीचे स्पष्ट कर रहे हैं -
1- वाजीकरण एक संयुक्त शब्द है जो वाजीकरण ये दो शब्दों के संयोग से बना है। यहाँ
'वाजी' शब्द घोड़े (अश्व) के लिए प्रयुक्त हुआ है तथा 'करण' शब्द का सीधा सा अर्थ है करना या
बनाना । इसका संयुक्त अर्थ हुआ 'घोड़े जैसा बनाना' अर्थात् जिन उपायों से पुरुषों में घोड़े के समान
शक्ति उत्पन्न हो उसे वाजीकरण कहते हैं। दूसरे शब्दों में घोड़े के समान 'सम्भोग सामर्थ्य ' पैदा
करने वाले द्रव्यों को वाजीकरण औषधियां कहा जाता

2- दूसरे मतानुसार भी 'वाजी' शब्द का अर्थ 'घोड़ा' है, किन्तु यहाँ 'करण' शब्द को कान
के लिए सम्बोधित किया है अर्थात 'घोड़े का कान जिन औषधियों के प्रभाव से पुरुष का लिंग
उत्तेजित (हर्षित) होकर घोड़े के कान की भांति स्फूर्ति से बार - बार ऊपर - नीचे (उत्थित ) हो,
उसे वाजीकरण कहते हैं।
3- एक अन्य मतानुसार वाजी शब्द वीर्य के लिए प्रयुक्त हया है । वीर्य पुरुष का बीज है
और इसी बीज (वीर्य) को उत्पन्न करने या शुक्रवृद्धि करने वाली क्रिया को वाजीकरण कहते हैं।
शास्त्रों में वशीकरण के विषय में कई परिभाषाएं व्यक्त की गई हैं।
यथा:- 'वाजं शुक्र न वाजं अवाजम् अवाजं वाजीक्रियते इति वाजीकरण'
अर्थात जिस पुरुष के शरीर में वीर्य (पौरुष बल) क्षीण हो गया हो उसके शरीर में वीर्य
उत्पन्न करने वाले उपायों को वाजीकरण कहते हैं।
पुरुषों को घोड़े की भांति पुष्ट, मज़बूत, स्फूर्तिवान (चुस्त), गतिवान, वीर्यवान, शक्तिशाली
एवं सम्भोग सामर्थ्य प्रदान करने वाले द्रव्यों (औषधियों) को 'वाजीकरण' कहा जाता है

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