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बैद्यनाथ सिद्ध मकरध्वज स्पेशल परिचय एवं प्रयोग

बैद्यनाथ सिद्ध मकरध्वज स्पेशल (स्वर्ण -कस्तूरी- मुक्तायुक्त)
मुख्य द्रव्य - अष्टदश संस्कारित एवं षड़गुणबलिजारित से निर्मित मकरध्वज स्वर्ण-भस्म
अम्बर मोती आदि।
गुणधर्म- पौरूष शक्ति, स्फूर्ति दायक अनुपान भेद से सभी जटिल रोगों की प्रमुख दवा
हृदय वेदना में लाभदायक।
उपयोग - यह हृदय और स्नायु-मण्डल को ताकतवर बनाने में तत्काल लाभकारी हैं । ज्वर
निमोनिया, सर्दी, जुकाम, कफ, खांसी, दमा, श्वास, फेफड़े के विकार, नाड़ी की क्षीणता
शीतांग आदि रोगों में इसका प्रयोग सफल सिद्ध होता है। उन्माद, अपस्मार, मृगी, मूरछो
मस्तिष्क दौर्बल्य में इससे अच्छा लाभ होता है। शरीर के वजन को निश्चित रूप से
बढ़ाता है तथा प्रमेह, मधुमेह, धातुदौर्बल्य, नामर्दी, शीघ्रपतन आदि देकर स्तम्भन शक्ति
प्रदान करता है। असमय के बुढ़ापा तथा ह्रदय की गति मन्द होकर मरने (हार्टफेल) से बचने के लिए इसका प्रयोग परम गुणकारी है । यह सर्वोत्तम रसायन बाजीकरण एवं
योगवाही है। साधन-सम्पन्न व्यक्तियों को इसके प्रयोग से अवश्य लाभ उठाना चाहिए।
मात्रा - पूरी उम्र वालों को १२५ मिग्रा. तीन साल के बालकों को ३० मिग्रा. तथा ४ से १०
वर्ष की उम्र वालों को ६२ मिग्रा. की मात्रा में सबेरे-शाम देना या यथावश्यक

अनुपान विशेष - रोगानुसार मधु, मक्खन, मलाई, दूध, पारस आदि । फेफड़ों के विकार
दिल-दिमाग की कमजोरी, कफ, खांसी आदि में बैद्यनाथ च्यवनप्राश स्पेशल १२ ग्राम
अथवा सितोपलादि चूर्ण १.५० ग्राम के साथ मिलाकर मध से चाटना विशेष गणकारी है।
ज्वर, सर्दी, जुकाम में आदीरस और मधु के साथ निमोनिया में वासा-रस, मधु तथा हृदय
की दुर्बलता में १२५ मिग्रा. नागार्जुनाभ्र रस मिलाकर मधु से चाटना तथा भोजन के बाद
अर्जुनारिष्ट पीना उत्तम है। नाड़ी-क्षीणता, शीतांग आदि में पान या तुलसी रस के साथ
मानसिक विकार, उन्माद शीतांग आदि में ब्राम्ही रसायन एक तोला या ब्राम्ही शर्बत के
साथ लेना तथा भोजन के बाद अश्वगंधारिष्ट पीना विशेष गुणकारी है। प्रमेह, मधुमेह
शिलाजीत के साथ तथा नपुंसकता, नामर्दी में बैद्यनाथ जीवन कल्प १२ ग्राम के साथ देना
उत्तम है।
पथ्यापथ्य- दूध, फल आदि स्निग्ध, मधुर, सात्विक एवं बलकारी सुपाच्य भोजन करें तथा
खट्टे, नमकीन उष्ण एवं क्षार युक्त पदार्थों से परहेज करें।
नोट - प्राय: सभी मकरध्वज अनुपान भेद से अनेक रोगनाशक है । यहाँ संक्षेप में अनुपान
और सेवन-विधि का निर्देश किया गया है। विभिन्न रोगानुसार अनुपान की योजना
चिकित्सक के परामर्शानुसार करें। विस्तृत जानकारी के लिए हमारे 

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